शोध आलेख उत्तर-आधुनिकतावादी विमर्श: राजनीतिक-साहित्यिक दृष्टि से विवेचन: राजनीतिक-साहित्यिक चिंतन

Authors

  • डॉ. नवीन तिवारी, डॉ. गोपीराम शर्मा

DOI:

https://doi.org/10.8476/sampreshan.v17i1.55

Abstract

19वीं सदी ने ‘आधुनिकता’ का प्रत्यय देकर विश्व को आगे बढ़ाया। इसी प्रकार 20वीं सदी ‘उत्तर-आधुनिकता’ के प्रत्यय के साथ सामने आयी। उत्तर-आधुनिकता में आधुनिकता के बहुत से मूल्यों, सिद्धांतों व मान्यताओं के प्रति अविश्वास है। आधुनिकता समग्रता को महत्त्व देती रही, एक केन्द्रवादी विचारधारा बनकर सामने आयी। उत्तर-आधुनिकता ने उस समग्रता, एकसूत्रता को झूठा बतलाते हुए कहा कि यहाँ बहुत से लिटिल नैरेटिव अर्थात उपकेन्द्र मौजूद हैं। उत्तर-आधुनिकता इन उपकेन्द्रों की सुध लेती है, जो हाशिए में पड़े थे और उनके प्रतिनिधित्व के लिए यह आगे आती है।

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2016-2024

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डॉ. नवीन तिवारी, डॉ. गोपीराम शर्मा. (2024). शोध आलेख उत्तर-आधुनिकतावादी विमर्श: राजनीतिक-साहित्यिक दृष्टि से विवेचन: राजनीतिक-साहित्यिक चिंतन. Sampreshan, ISSN:2347-2979 UGC CARE Group 1, 17(1), 105–114. https://doi.org/10.8476/sampreshan.v17i1.55

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