स्त्रीणामुन्नतौ ज्योतिषशास्त्रस्य योगदानम्
Abstract
जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है, वहाँ देवता रमण करते हैं। स्त्रियों की उन्नति से समाज की उन्नति सम्भव है। उन्नत समाज से उन्नत राष्ट्र का उत्कर्ष सम्भव है। वेद समस्त ज्ञान के स्रोत हैं। वैदिक शास्त्रों में समस्त प्राणियों के कल्याण की विद्या उपलब्ध है। इसी के अन्तर्गत स्त्रियों की उन्नति के सन्दर्भ में ज्योतिष शास्त्र का महत्त्वपूर्ण योगदान है। ज्योतिष शास्त्र के होरा स्कन्ध में जातक के पूर्व कर्मार्जित शुभाशुभ कर्म का प्रकाशन किया जाता है । होरा शास्त्र में जातक शब्द से पुरुष जातक, स्त्री जातक इन दोनों का अधिग्रहण होता है। स्त्रियों की उन्नति के विभिन्न मार्ग शास्त्र में वर्णित है। कुण्डली के माध्यम से जातिका के गुण,धर्म, स्वभाव का वर्णन का ज्ञान प्राप्त किया जाता है। परन्तु कुलटा, वैधब्य, विषकन्या इत्यादि कुयोगों का दर्शन ज्योतिष शास्त्र में प्राप्त होता है, इससे स्त्रियों की अवनति नहीं जाननी चाहिए, क्योंकि ज्योतिष शास्त्र शुभाशुभ फल का विवेचन करता है, तथा इसके साथ ही अशुभ फल के उपशमन का प्रकाशन भी करता है। अतः स्त्रियों के कुयोगों को सुयोगों में बदलने का कार्य यही ज्योतिष शास्त्र करता है। अतः कुयोगों के उपशमन की यह विधा भी स्त्रियों की उन्नति के मार्ग को प्रशस्त करती है।