ग्रामीण समाज का बदलता स्वरूप और महिलाओं की भूमिका: संदर्भ --हिंदी उपन्यास

Authors

  • डॉ अनिल कुमार सिंह

Abstract

 

 

कृषि ऐसी जीवन पद्धति और परंपरा है, जिसने मानव के विचार, दृष्टिकोण, संस्कृति और आर्थिक जीवन को सदियों से संवारा है। कृषि कर्म मानव के समस्त विकासात्मक पक्षों - सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक कार्य नीतियों का मूल है। मानव के विकास की आरम्भिक अवस्थाओं में कृषि का आविष्कार ही परिवर्तन का वह मूल बिंदु है जिसने आखेटक एवं खाद्य संग्राहक की आदिम अवस्था से मुक्त कर उसे स्थाई जीवन पद्धति की ओर प्रवृत किया, जिससे कालांतर में ग्रामीण समाज का उदय हुआ। इसे सभ्यता-संस्कृति के विकास का प्रस्थान बिंदु कहा जाता है। इस प्रकार ग्रामीण समाज का उदय अपने आप में एक सांस्कृतिक परिघटना है।(1) इसके वाहक होने के कारण कृषक मानव सभ्यता की विकास प्रक्रिया का अग्रदूत है।

Published

2016-2024

How to Cite

डॉ अनिल कुमार सिंह. (2025). ग्रामीण समाज का बदलता स्वरूप और महिलाओं की भूमिका: संदर्भ --हिंदी उपन्यास. Sampreshan, ISSN:2347-2979 UGC CARE Group 1, 14(3), 60–67. Retrieved from https://sampreshan.info/index.php/journals/article/view/409

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