उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता की स्थिति का अध्ययन

Authors

  • 1. प्रयाग माधव झा , 2. डॉ अमित कुमार

DOI:

https://doi.org/10.8476/sampreshan.v17i2.397

Abstract

किसी भी राष्ट्र का भविष्य उसके छात्रों पर निर्भर करता है। छात्रों के चरित्र-निर्माण तथा व्यक्तित्व को उचित आकार देने में नैतिक मूल्य की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मूल्य व्यक्ति समाज तथा राष्ट्र को बनाने में सर्वाधिक भूमिका निभाते हैं। व्यक्ति का व्यवहार तथा उसका चरित्र काफी हद तक उसके मूल्यों पर निर्भर करता है। एक विद्यार्थी का व्यवहार तथा चरित्र-निर्माण विद्यालय के वातावरण पर निर्भर करता है। विद्यालय वातावरण से तात्पर्य उन परिस्थितियों से है जो अध्यापक, शिक्षण अधिगम सामग्री एवं शिक्षण विधियों से उत्पन्न होती है तथा जिसका सापेक्षिक प्रभाव विद्यार्थियों की ज्ञानेंद्रियों एवं मस्तिष्क पर पड़ता है। इसके फलस्वरूप विद्यार्थियों का व्यवहार नियंत्रित होता है।

                तत्कालीन शिक्षा केवल विषयों की शिक्षा एवं परीक्षा तक ही सिमटी हुई है। यदि हम कहें कि वर्तमान शिक्षा का स्वरूप एकांकी है तो यह कहना गलत नहीं होगा। नैतिक मूल्यों के विकास पर ही व्यक्ति का संपूर्ण आंतरिक विकास निर्भर करता है ।नैतिक मूल्यों का संबंध नैतिकता से है । नैतिकता से तात्पर्य व्यक्ति द्वारा एक परिवार की आंतरिक प्रेरणा और दिशा-निर्देशन में अपनी इच्छा और मन पर नियंत्रण और पूर्ण अधिकार का सतत् प्रयास किया जाना है। वैसे तो बालक जन्म से ही माता-पिता के संपर्क में बहुत से नैतिक मूल्यों का अनुकरण करता है और उसे सीखता है, किंतु कभी-कभी माता-पिता के द्वारा ही अनुशासनहीनता को बढ़ावा दिया जाता है। इस स्थिति में विद्यालय शिक्षा का उत्तरदायित्व इस दिशा में और भी अधिक हो जाता है।

          अतः इसके प्रमुख घटकों, पाठ्यक्रम एवं शिक्षक के माध्यम से ऐसा वातावरण निर्मित किया जाए जिससे छात्रों में नैतिक मूल्यों का विकास हो सके। पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा से संबंधित विषयवस्तु का समावेश तो होना ही चाहिए साथ ही पाठसहगामी क्रियाओं में भी नैतिक मूल्यों पर आधारित क्रियाकलाप शामिल किया जाना चाहिए। शिक्षकों को नैतिक शिक्षा प्रदान करते समय यह ध्यान में रखना चाहिए कि विद्यार्थी अपने दैनिक जीवन में नैतिक मूल्यों को अपने व्यवहार में परिलक्षित करें तथा यह उनमें आत्मानुशासन विकसित कर सके। इसके लिए शिक्षकों के द्वारा विद्यार्थियों को समय-समय पर इस तरह के अवसर भी प्रदान करना चाहिए। विद्यार्थी अपनी जिम्मेदारियों को दूसरे पर थोपने तथा जैसे-तैसे कार्य को पूरा करने के बजाय मन लगाकर अच्छे से अपने कार्य को पूरा करें, इसके लिए भी बच्चों को प्रेरित किया जाना चाहिए। विद्यार्थियों के द्वारा नीतिपरक कार्य करने पर शिक्षक स्वयं तथा अन्य बच्चों के द्वारा उसकी प्रशंसा करें जिससे कि उसका उत्साहवर्धन हो सके तथा अन्य बच्चे भी अच्छे कार्यों के लिए दूसरे की प्रशंसा करना सीख सके।

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Published

2016-2024

How to Cite

1. प्रयाग माधव झा , 2. डॉ अमित कुमार. (2025). उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता की स्थिति का अध्ययन. Sampreshan, ISSN:2347-2979 UGC CARE Group 1, 17(2), 1459–1462. https://doi.org/10.8476/sampreshan.v17i2.397

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