श्रीमद्भगवद्गीता एवं शिवसंहिता में वर्णित कर्मयोग की तुलना

Authors

  • सौदामिनी गुप्ता, डॉ. शशिकांत मणि त्रिपाठी

DOI:

https://doi.org/10.8476/sampreshan.v17i2.352

Abstract

श्रीमद्भगवद्गीता एवं शिवसंहिता दोनों ही योगपरक ग्रंथ हैं। दोनों में ही योग के विभिन्न आयामों का विस्तृत वर्णन हुआ है। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए योग के उपदेश का वर्णन किया गया है। इसमें अठारह अध्याय हैं और अठारह प्रकार के योग का वर्णन मिलता है, प्रत्येक अध्याय में एक प्रकार के योग वर्णन है। पर इन अठारह प्रकार के योग में प्रमुख रूप से तीन प्रकार के योग हैं - ज्ञानयोग, कर्मयोग एवं भक्तियोग। वहीं शिवंसंहिता में भगवान शिव द्वारा माता पार्वती को दिये गये योग के  उपदेश का वर्णन है। इसमें पाँच पटल हैं तथा इसमें चार प्रकार के योग का वर्णन मिलता है - लययोग, राजयोग, हठयोग और मंत्रयोग। इसमें ज्ञान एवं कर्म का भी विस्तृत वर्णन मिलता है।

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Published

2016-2024

How to Cite

सौदामिनी गुप्ता, डॉ. शशिकांत मणि त्रिपाठी. (2024). श्रीमद्भगवद्गीता एवं शिवसंहिता में वर्णित कर्मयोग की तुलना. Sampreshan, ISSN:2347-2979 UGC CARE Group 1, 17(2), 1322–1328. https://doi.org/10.8476/sampreshan.v17i2.352

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Articles