सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के लिए योग की उपयोगिता

Authors

  • ललित मोहन, डॉ. अखिलेश कुमार सिंह

DOI:

https://doi.org/10.8476/sampreshan.v17i2.351

Abstract

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या स्पाइन के सबसे उपरी भाग सर्वाइकल स्पाइन में होती है। यह समस्या गर्दन के आसपास के मेरुदंड की हड्डियों की असामान्य बढ़ोतरी और सर्वाइकल वेर्टेब्रा के बीच के कुशनों इंटरवर्टेबल डिस्क में कैल्शियम का डी-जेनरेशन, बहिःक्षेपण तथा सर्वाइकल क्षेत्र में फुलाव अथवा सूजन और अपने स्थान से सरकने की वजह से होता है। वेर्टेब्रा के बीच के कुशनों के डी-जेनरेशन से नस पर दबाव पड़ता है और इससे सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण देखे जाते हैं। सामान्यतः 4वीं5वीं, 5वीं6ठी, 6ठी7वीं के बीच डिस्क का सर्वाइकल वेर्टेब्रा अधिक प्रभावित होता है। आज योग की उपयोगिता इस बात से समझी जा सकती है कि योग एक सम्पूर्ण सुखी जीवन जीने की कला है। वही शरीर के संबंध में, यह सिर्फ शरीर को ऊर्जान्वित ही नहीं करता अपितु मानव के शरीर में सम्पूर्ण रोग निवारण के साथ-साथ, आत्मविश्वास का भी संचार करता है। नियमित योग करने से सदाचार को अकूत बल मिलता है। आज योग विज्ञान द्वारा रोगों उपचार में अनेकनेक शोध कार्य किये जा रहे है। योग के योगासन शारीरिक स्वास्थ्य के लिए वरदान स्वरूप हैं क्योंकि इससे शरीर के समस्त भागों पर प्रभाव पड़ता है और वह अपने कार्य सुचारु रूप से करते हैं। ये रोग विकारों को नष्ट करते हैं रोगों से शरीर की रक्षा करते हैं और शरीर को निरोग स्वस्थ एवं बलिष्ठ बनाए रखते हैं।

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Published

2016-2024

How to Cite

ललित मोहन, डॉ. अखिलेश कुमार सिंह. (2024). सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के लिए योग की उपयोगिता. Sampreshan, ISSN:2347-2979 UGC CARE Group 1, 17(2), 1316–1321. https://doi.org/10.8476/sampreshan.v17i2.351

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