भारत और चीन के मध्य बढ़ता सैन्य व सामरिक तनाव का विश्लेषण

Authors

  • 1. श्रीमती शिल्पी तिवारी , 2. डाॅ. संध्या जायसवाल

DOI:

https://doi.org/10.8476/sampreshan.v17i3.344

Keywords:

सैन्य हथियारों का एकत्रीकरण, एशिया में तनाव, चीन का एशिया में वर्चस्व की रणनीति, प्रभुत्व की लालसा

Abstract

एकदलीय एव साम्यवाद के उदयकाल से ही शीघ्र यह बात स्पष्ट हो गई थी कि चीन विश्व-महाशक्ति बनने एवं एशियाई नेतृत्व की महत्वकांक्षा पाले हुये है। अपनी इस लालसा को पूरा करने के लिए चीन के द्वारा साम्राज्यवाद, सीमा विस्तारवाद, व्यापारिक-आर्थिक प्रभुत्ववाद तथा कपटभरी विदेश नीति को अपना मुख्य हथियार अपनाया। माओत्से तंुग के नेत्तृत्व में 1 अक्टुबर 1949 को चीन में साम्यवादी सत्ता की स्थापना के पश्चात तीव्र गति से चीन का बहुमुखी विकास हुआ। परमाणु हथियारों के निर्माण से लेकर सामरिक, व्यापारिक एवं आर्थिक विकास, प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष अभियान इत्यादि अनेक क्षेत्रों में चीन ने अपना दबदबा कायम किया। इसके इन्हीं सफलताओं के अभियान में शीघ्र-ही चीन अपने आपको विश्वमहाशक्ति एवं एशिया में प्रमुख शक्ति के रूप में देखने लगा। विश्वपटल पर अपने आपको स्थापित करने के लिए चीन ने हथियारों का विशाल जखीरा खड़ा किया। एशिया में लगभग सभी देशों के साथ तथा समुद्र में चीनी अतिक्रमण से विवाद उत्पन्न हुये। पड़ोसी देशों के आँतरिक, मामलों में हस्तक्षेप करना, सीमाविस्तारवाद तथा भारत को एशिया में अपना प्रमुख प्रतिद्वंद्वी मानते हुये, भारत को लगातार घेरने का प्रयास करना आदि ऐसे अनेक कारण हैं जिससे भारत और चीन के मध्य लगातार सैन्य एवं सामरिक तनाव बढ़ते गया।

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Published

2016-2024

How to Cite

1. श्रीमती शिल्पी तिवारी , 2. डाॅ. संध्या जायसवाल. (2024). भारत और चीन के मध्य बढ़ता सैन्य व सामरिक तनाव का विश्लेषण. Sampreshan, ISSN:2347-2979 UGC CARE Group 1, 17(3), 131–133. https://doi.org/10.8476/sampreshan.v17i3.344

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