हिन्दी ग़ज़लों में प्रेम का निरूपण
DOI:
https://doi.org/10.8476/sampreshan.v17i3.292Keywords:
हिन्दी ग़ज़लों में प्रेम का निरूपण, भाईचाराAbstract
प्रेम का मानव जीवन में बहुत महत्त्व है। प्रेम के कारण ही आपसी भाईचारा, रिष्ते-नाते तथा आपसी संबंध बनते हैं। प्रेम ग़ज़ल का भी मूल विषय रहा है। ‘ग़ज़ल’ शब्द मूलतः अरबी भाषिक है जिसका अर्थ ‘सूत कातना’ माना गया है। इसके साथ ही ग़ज़ल एक काव्य विधा का भी रूप है। ग़ज़ल काव्य का विकास अरबी की बजाय फारसी में सर्वाधिक माना गया है। जैसा कि एक मत यह है कि ‘‘ग़ज़ल विधा का उद्भव अरबी साहित्य में न होकर फारसी साहित्य में हुआ। जब फारसी के साहित्यकारों का हिन्दुस्तान से सम्पर्क हुआ तो ग़ज़ल की विधा फारसी से उर्दू तथा हिन्दी में आयी।’’1 वास्तव में ग़ज़ल विधा की शुरुआत हिन्दी के अलावा अन्य भाषाओं में हुई। ग़ज़ल विधा को हिन्दी में लाने का श्रेय अमीर खुसरो को दिया जाता है। अमीर खुसरो का समय लगभग तेरहवीं सदी के आस-पास का है। उन्होंने ईरानी और भारतीय संस्कृति को आपस में जोड़ने के लिए भाषाओं का मिश्रण करते हुए अपने साहित्य की रचना की। ऐसा माना जाता है कि अमीर खुसरो को फारसी, उर्दू के अलावा भारतीय भाषाओं का भी अच्छा-खासा ज्ञान था। अमीर खुसरो ने भी अपनी ग़ज़लों में प्रेम को महत्त्व दिया है। उनका एक शेर द्रष्टव्य है -