श्रीमद्देवीभागवतपुराणे ग्रहचिन्तनम्

Authors

  • डा.हरिनारायणधर द्विवेदी

DOI:

https://doi.org/10.8476/sampreshan.v16i4.283

Abstract

 

 

पुराणों के निर्माण का उद्देश्य ज्ञान रूपी वेद के यथार्थ अर्थ हेतु ही माना जाता है। वेद का नेत्र ज्योतिष शास्त्र होने से पुराणों में ज्योतिष शास्त्र की चर्चा अवश्य ही प्राप्त होती है। अतः श्रीमद्देवीभागवत में भी विविध  ज्योतिष शास्त्र के तत्त्व विद्यमान होते हैं। प्रस्तुत प्रबन्ध में ब्रह्मा की आयु, सूर्य गति, सूर्य स्थिति इत्यादि तत्त्वों की विस्तृत परिचर्चा की जा रही है।

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Published

2016-2024

How to Cite

डा.हरिनारायणधर द्विवेदी. (2024). श्रीमद्देवीभागवतपुराणे ग्रहचिन्तनम्. Sampreshan, ISSN:2347-2979 UGC CARE Group 1, 16(4), 98–103. https://doi.org/10.8476/sampreshan.v16i4.283

Issue

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Articles