कवि मंगलेश डबराल की कविताओं में पीड़ित और शोषित नारी की अभिव्यक्ति
DOI:
https://doi.org/10.8476/sampreshan.v17i2.276Abstract
स्त्री है ममता का झरना
स्त्री है समता का बहना
हर एक परिस्थिति में
पड़ता है उसको ही ढलना
स्त्री सा कोई प्रेम स्त्रोत नहीं
स्त्री का कोई विकल्प नहीं
फिर भी क्यों वो अबला है
निर्बल स्त्री का शोषण
क्यों ये सब उसे ही सहना है?
स्त्री ईश्वर की सर्वोत्तम कृति है, वही सभी के इस संसार में आने का माध्यम है फिर भी उसकी महानता को भूल पुरुषवादी समाज उसे एक अभिशप्त जीवन जीने को मजबूर करते है। वह दिनभर दूसरों के लिए जीती है और अंत में उसे अफसोस के सिवा कुछ नहीं मिलता। मंगलेश डबराल की ये पंक्तियाँ यही भाव अभिव्यक्त करती है
Published
2016-2024
How to Cite
ममता पानेरी पायल पानेरी. (2024). कवि मंगलेश डबराल की कविताओं में पीड़ित और शोषित नारी की अभिव्यक्ति. Sampreshan, ISSN:2347-2979 UGC CARE Group 1, 17(2), 1144–1148. https://doi.org/10.8476/sampreshan.v17i2.276
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Articles