जयपुर शासकों की धार्मिक सहिष्णुता की नीति व दृष्टि (एक ऐतिहासिक अध्ययन)

Authors

  • अरविन्द सुलानिया, डाॅ. सीमा वर्मा,

DOI:

https://doi.org/10.8476/sampreshan.v17i2.268

Abstract

जयपुर सदैव ही उन सामाजिक-धार्मिक परिवर्तनों का प्रतीक रहा है जो उसने बाह्य संस्कृतियांे से ग्रहण किये। जयपुर के सम्बन्ध मे एक उक्ति बहुप्रचलित है कि “जीवन में आकर क्या किया जो न देखा जैपर्या।” यहां धार्मिक परिवर्तन की प्रतीकात्मकता विभिन्न संस्कृतियों के सम्मिश्रण से पुष्ट होती है। जयपुर की धार्मिक दृष्टि से प्रमुख विशेषता यह रही है कि इसके लोक ने विभिन्न धार्मिक संस्कृतियों का अनुगमन किया है तथा उनके विशेष आयाम ग्रहण कर आदर्शात्मक स्थिति का उदाहरण प्रस्तुत किया। यहां की बहुरंगी धार्मिक परम्पराएं बाह्यय धार्मिक संस्कृतियों से प्रभावित होकर और ज्यादा पुष्ट हुई। पुष्ट होने का तात्पर्य है कि उन्हें नवीन आयाम और अर्थ प्राप्त हुए। प्रस्तुत शोध पत्र का उद्देश्य जयपुर के शासकों की धार्मिक सहिष्णुता एवं नीति को स्पष्ट करना है।

Published

2016-2024

How to Cite

अरविन्द सुलानिया, डाॅ. सीमा वर्मा,. (2024). जयपुर शासकों की धार्मिक सहिष्णुता की नीति व दृष्टि (एक ऐतिहासिक अध्ययन). Sampreshan, ISSN:2347-2979 UGC CARE Group 1, 17(2), 1138+1143. https://doi.org/10.8476/sampreshan.v17i2.268

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Articles