मध्यप्रदेश में पंचायती राज और ग्रामीण विकास
DOI:
https://doi.org/10.8476/sampreshan.v17i2.239Keywords:
पंचायती राज, ग्रामीण विकासAbstract
लोकतंत्र केसंचालन के लिएलोकतांत्रिक सत्ता का विकेंद्रीकरण आवश्यक है ।संघीय व्यवस्था में राज्य और केंद्र के बीच सत्ता का विकेंद्रीकरण होता है इस विकेंद्रीकरण से लोकतंत्र तथा विकास दोनों ही सुचारू रूप से क्रियान्वित होते हैं ।इसी प्रकार स्थानीय शासन के माध्यम से सत्ता का विकेंद्रीकरणनीचे के स्तर पर किया जाता है और विकास प्रशासन के अंतिम बिंदु तक प्रसारित होता है इससे राजनीतिक सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक विकासअंतिम पायदान तक होता है ।
लोकतंत्रकेवल सत्ता के विकेंद्रीकरण द्वारा ही सफल नहीं होता लोकतंत्र की सफलता के लिए आर्थिक संपन्नता शैक्षणिक स्तर सामाजिक स्तर में समानता भी आवश्यक है ।भारत पर विभिन्न
आक्रमणकारियों द्वारा भारत की ग्रामीण लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था को नष्ट कर दिया गया और विभिन्न प्रकार की शोषणकारी शक्तियों ने जन्म लिया ।
1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में लोकतंत्र की स्थापना तथा सत्ता के विकेंद्रीकरण के प्रयास किए गए भारत के विशाल भूभाग और विशाल जनसंख्या तथा विभिनता को देखते हुए सत्ता का विकेंद्रीकरण आवश्यक हैइन्हीं सब परिस्थितियों का आकलन करने के बाद भारत में लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण के जरिए स्थानीय स्वशासन को विकसित किया गया तथा स्थानीय संस्थाओं के माध्यम से इन संस्थाओं को प्रशासनिक तथा आर्थिक अधिकार प्रदान किए गए ।
लोकतांत्रिक व्यवस्था में पंचायती राज्य वह माध्यम है जोशासन को सामान्यजनतकले जाता हैलोकतंत्र को यथार्थ में मजबूती प्रदान करने के लिए पंचायती राज व्यवस्था एक ठोस कदम है।पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से स्थानीय कार्यों कोपंचायतों के माध्यम से बहुत आसानी से तथा आवश्यकता अनुसार विकास कार्यों को तथा प्रशासनिक कार्यों को पूर्ण किया जा सकता है इससे लोगों को स्थानीय शासन में भागीदारी भी सुनिश्चित की जा सकेगी तथा भ्रष्टाचार को भी कम किया जा सकेगा एवं लोकतंत्र का विकेंद्रीकरण वास्तविक रुप से सुनिश्चित किया जा सकेगा ।
मध्य प्रदेश , भारत का प्रथम राज्य था जिसने स्थानीय स्वशासन को संवैधानिक रूप से क्रियान्वित किया और संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार 73 वे व74 वे संविधान संशोधन लागू किया।मध्यप्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू है जिसके माध्यम से स्थानीय स्वशासन ग्रामीण विकास को और लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रहा है ।