जयपुर की चित्रकला में परिवर्तनकारी तत्व: ऐतिहासिक अनुशीलन
DOI:
https://doi.org/10.8476/sampreshan.v16i4.234Abstract
जयपुर को इतिहास में ढूंढाड़ नाम से भी अभिहित किया जाता है। ढूंढाड़ की सीमाएं विस्तृत थीं और अनेक क्षेत्र उसमें आते थे। इन क्षेत्रों में जयपुर की अपनी अलग पहचान थी क्योंकि महाराजा सवाई जयसिंह (1699 ई.-1743 ई.) के जयपुर नगर बसाने से पूर्व कच्छवाहा वंश की राजधानी आम्बेर थी। जयपुर राज्य में अनेक कलाएं पोषित एवं पल्लवित हुईं। यहां के शासकों ने कला के संरक्षण एवं पोषण के लिए विशेष 36 कारखानों की स्थापना की थी जिनमें सुरतखाना भी एक महत्वपूर्ण कारखाना था। सुरतखाना विशेषतया चित्रकला से सम्बन्धित था जिसमें अनेक चित्रकारों को नियुक्त किय गया। ये सभी चित्रकार अपनी कला के माध्यम से चित्रों को सजीवता से उकेरते थे। जयपुर के राजसी दरबारी और सामन्ती वर्ग में परिपोषित हुई चित्रकला जयपुर शैली के नाम से विख्यात है। चित्रकला की इस जयपुर शैली ने अन्य चित्रकला शैलियों से प्रभावित हुयी। विशेषतया ब्रिटिश-मुगल चित्रकला शैली का प्रभाव जयपुर शैली पर पड़़ा। प्रस्तुत शोध पत्र का उद्देश्य जयपुर शैली के मूल स्वरूप को व्याख्यायित कर इस पर मुगल-ब्रिटिश शैली के प्रभाव को बताना है।