भारत के संदर्भ में समाजशास़्त्र का महत्व
DOI:
https://doi.org/10.8476/sampreshan.v17i2.196Keywords:
समाजशास्त्र का महत्व, समाजशास्त्र की प्रासंगिकताAbstract
भारत जैसे विकासशील देश में समाजशास्त्र के अध्ययन का विशेष महत्व है, जहां एक तरफ कई सामाजिक समस्याएं है तो दूसरी तरफ विभिन्न विकास योजनाओं के माध्यम से देश उन्नति की ओर अग्रेषित करना होता है। समाजशास्त्र एक सामान्य सामाजिक विज्ञान है जो अपने को एक विशिष्ट समाज के अध्ययन तक ही सीमित नही रखता बल्कि विभिन्न समाजांे के अध्ययनों के आधार पर व्यवस्थित ज्ञान संकलित करता है, यह ज्ञान संपूर्ण मानव समाज को समझने में सहयोग देता है, साथ ही तेजी से बदलते जटिल सामाजिक गतिविधियां एवं सामाजिक संरचनाओ के संबंध में भी वैज्ञानिक ज्ञान प्रदान करता है, समाज शास्त्र के अध्ययन से रीतिरिवाज, परंपराओं, संस्थाओ एवं व्यवहार के तरीको को ही सर्वश्रेष्ठ न मानकर अन्य समाजों के तौर तरीकों को भी समान रूप से महत्व देता है। समाजशास्त्र के अध्ययन से व्यक्ति को समाज के उददेश्यों व आदर्शो को समझने में मदद मिलती है और उनकी प्राप्ति में भी सहयोग दे पाता है। समाज जितना बड़ा होगा और उसमें उतने अधिक विभेद होंगे जाति, प्रजाति, धर्म, भाषा, प्रांतीयता आदि के आधार पर जितने ज्यादा अंतर होंगे उतनी ही समाज के संबंध में वैज्ञानिक जानकारी की अधिक आवश्यकता रहेगी। इस प्रकार समाजशास्त्र के अध्ययन इस दृष्टि से विशेष महत्व है कि यह संपूर्ण मानव समाज को समझने में सहयोग देता है।