भक्तिमार्ग की उत्पत्ति में ईसाइयत की भूमिका : एक भ्रांत धारणा

Authors

  • -डॉ. अंजनी कुमार श्रीवास्तव

DOI:

https://doi.org/10.8476/sampreshan.v15i1.182

Abstract

 

 

     19 वीं 20 वीं शताब्दी में भारतबोध को सुनियोजित रूप से नष्ट करने का प्रयास किया गया । इसमें ईसाई मिशनरियों के साथ ही अंग्रेज प्रशासकों की भी भूमिका रही । भक्तिमार्ग  भारतीय मनीषा की अद्वितीय उपलब्धि है, अत: इसे ईसाइयत का प्रदाय सिद्ध कर औपनिवेशिक हितों की पूर्ति की गयी । पाश्चात्य अध्येताओं को कृष्णोपासना और ईसाई धर्म के बीच समानता दृष्टिगत हुई जिसके आधार पर उन्होंने मध्यकालीन भक्ति काव्यधारा को ईसाइयत का प्रदाय मान लिया ।

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Published

2016-2024

How to Cite

-डॉ. अंजनी कुमार श्रीवास्तव. (2024). भक्तिमार्ग की उत्पत्ति में ईसाइयत की भूमिका : एक भ्रांत धारणा. Sampreshan, ISSN:2347-2979 UGC CARE Group 1, 15(1), 24–32. https://doi.org/10.8476/sampreshan.v15i1.182

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