जनजातीय समाज और भाषा विकास में संचार साधनों का प्रभाव

Authors

  • मंयक भार्गव डॉ के. के. सिंह,

Abstract

 

 

 

आज के आधुनिक युग में संचार के कई रूप है। सचार कांति के दो प्रमुख रूप है जिन्होनें समाज के प्रत्येक पहलू को प्रभावित किया है। इसमें प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया। प्रिंट मीडिया में प्रमुख समाचार पत्र, पत्रिकाएँ,  पाम्प्लेटस, पोस्टर और हॉडिंग सम्मिलित है, वहीं इलेक्ट्रानिक मीडिया के रूप में टेलीविजन,  रेडियो,  सिनेमा,  कम्प्यूटर,  इंटरनेट, मोबाईल, सोशल नेटवर्किंग,  ई-कॉमर्स,  ई-मेल आदि अनेक साधन शामिल है। संचार काति के विभिन्न साधन सूचनाओ और नवीन जानकारियों को व्यवस्थित रूप से एकत्रीकरण, विश्लेषण, संग्रहण तथा एक-दूसरों से शेयर करने का एक तंत्र है। राष्ट्रीय स्तर के हिंदी-अंगरेजी के प्रमुख समाचार-पत्रों के कवरेज का विश्लेषण किया जाए, तो नब्बे के दशक के बाद आदिवासियों से संबंधित खबरें या फीचर बहुत कम देखने को मिलते हैं। अब तक गिनी-चुनी पत्रिकाओं के आदिवासी विशेषांक आए हैं। इस पक्ष पर भी चर्चा होनी चाहिए कि मुख्यधारा मीडिया में पत्रकारिता, अभिनय, प्रबंधन आदि में आदिवासी समुदाय के कितने लोग जुड़े हैं? उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि इक्के-दुक्के को छोड़ कर इनका प्रतिनिधित्व नगण्य है। आदिवासी जीवन से जुड़ी विषय-वस्तु के विभिन्न पक्षों के सवालों, समस्याओं, उनके समाधानों के भीतर प्रवेश के लिए जरूरी है कि जो लोग आदिवासी जीवन से सीधे-सीधे जुड़े हुए हैं उनका सहयोग प्रतिनिधित्व के स्तर पर लिया जाए तो आदिवासी जीवन की वास्तविकता काफी हद तक सामने आ सकेगी। यह इसलिए कि आदिवासी लोक भारतीय समाज का एकमात्र तबका है, जो अलग-थलग पड़ा हुआ है और शेष समाज से अभी तक अपेक्षित स्तर पर नहीं जुड़ पाया है। किसी भी समाज को अपने विकास और समृध्दि के लिए सूचनाओं के व्यवस्थित तंत्र की अत्यत आवश्यकता होती है, क्योंकि समाज की प्रत्येक योजनाओं का आधार यही सूचनाएँ होती है और ये सूचनाएँ जितनी सटीक और अल्प समय में समाज के लोगों में प्रसारित होगी, योजनाओं के सफल होने तथा समाज के विकासषील होने की सम्भावनाएँ उतनी ही बढ़ जाती है। आदिवासी क्षेत्रों में मोबाइल और सोशल मीडिया का तेजी से प्रयोग किया जा रहा है। अब आदिवासी भी प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर चल रही गतिविधियों की चर्चा करते है। संचार के साधनों के प्रभाव के रूप में लोगों के दैनिक जीवनशैली में गुणोत्तर वृध्दि हुई है।

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Published

2016-2024

How to Cite

मंयक भार्गव डॉ के. के. सिंह,. (2024). जनजातीय समाज और भाषा विकास में संचार साधनों का प्रभाव. Sampreshan, ISSN:2347-2979 UGC CARE Group 1, 17(2), 302–308. Retrieved from https://sampreshan.info/index.php/journals/article/view/149

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